Murshidabad violence मुर्शिदाबाद हिंसा : हिंदू परिवारों का पलायन,

yash
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Murshidabad violence

मुर्शिदाबाद हिंसा Murshidabad violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल के दिनों में भड़की हिंसा ने एक डरावना मंजर पेश किया है, जहां हिंदू परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। नए वक्त कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा ने इस कदर तांडव मचाया कि कई हिंदू परिवार अपनी जान बचाने के लिए पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है, और स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

हिंसा की शुरुआत और भयावह मंजर Murshidabad violence मुर्शिदाबाद हिंसा

मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके में बीते शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद वक्त कानून के खिलाफ एक प्रदर्शन की तैयारी की गई थी। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे को जाम कर दिया और जमकर नारेबाजी की। इसी दौरान स्थिति उस समय बेकाबू हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के एक वाहन पर पथराव शुरू कर दिया। देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसक हो गया, और भीड़ ने पहले पुलिस को निशाना बनाया, फिर आसपास के हिंदू परिवारों पर हमला बोल दिया।

हिंदू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की गई, उनकी दुकानों को लूट लिया गया, और कई जगहों पर आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं। धुलियान और शमशेरगंज जैसे इलाकों में हिंदू परिवारों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। एक हिंदू परिवार के पिता और बेटे की हत्या ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। स्थानीय लोगों का कहना है कि हिंसा के दौरान पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय रही। शमशेरगंज थाने से महज 200 मीटर की दूरी पर घंटों तक तांडव चलता रहा, लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

पलायन को मजबूर हिंदू परिवार Murshidabad violence

हिंसा के बाद से मुर्शिदाबाद के हिंदू परिवारों में डर का माहौल है। अब तक करीब 2000 परिवार अपने घर छोड़कर पलायन कर चुके हैं। कई परिवार पड़ोसी जिले मालदा या झारखंड के इलाकों में शरण ले रहे हैं। जो परिवार अभी भी वहां हैं, वे अपनी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भेज रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने रोते हुए बताया, “हमारी दुकान लूट ली गई, घर तोड़ दिया गया। पुलिस ने कोई मदद नहीं की। अब हमारे पास अपनी जान बचाने के अलावा कोई चारा नहीं है।”

पलायन करने वाले परिवार अपने साथ ज्यादा सामान भी नहीं ले जा पा रहे हैं। कई लोग महज एक छोटा बैग और कुछ कपड़े लेकर अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हैं। तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि कैसे ये परिवार अपनी जिंदगी की बची-खुची चीजों को समेटकर सुरक्षित ठिकाने की तलाश में निकल पड़े हैं।

हिंसा का एक और भयावह चेहरा: एंबुलेंस पर हमला

प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के दौरान एक सरकारी एंबुलेंस को भी नहीं बख्शा। यह एंबुलेंस (102 नंबर की मुफ्त सेवा) कोलकाता से एक मरीज को जलपाईगुड़ी ड्रॉप करके वापस लौट रही थी, जब शाजुर मोड़ पर प्रदर्शनकारियों ने इसे रोक लिया। पहले एंबुलेंस के ड्राइवर को बुरी तरह पीटा गया, उसके सिर और पीठ पर गंभीर चोटें आईं, और फिर एंबुलेंस को आग के हवाले कर दिया गया। ड्राइवर फिलहाल अस्पताल में भर्ती है और उसका इलाज चल रहा है। इस घटना ने हिंसा की भयावहता को और उजागर कर दिया है।

पुलिस और सरकार पर सवाल

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती तो शायद हालात इतने बेकाबू न होते। एक स्थानीय ने कहा, “मंगलवार को ही 35 किमी दूर एक हिंसक घटना हुई थी, इसके बावजूद पुलिस ने कोई सावधानी नहीं बरती। यह एक बड़ा इंटेलिजेंस फेलियर है।”

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन उनकी सरकार और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। दूसरी ओर, बीजेपी ने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया है, जबकि टीएमसी ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए इसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।

क्या है वक्त कानून?

वक्त कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध देखने को मिल रहा है। हालांकि, इस कानून के बारे में स्पष्ट जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन इसका विरोध मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदायों की ओर से किया जा रहा है। मुर्शिदाबाद में इसी विरोध के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसका खामियाजा हिंदू परिवारों को भुगतना पड़ रहा है।

निष्कर्ष

मुर्शिदाबाद की यह हिंसा न केवल कानून-व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक सौहार्द के लिए भी एक बड़ा खतरा है। हिंदू परिवारों का पलायन एक गंभीर मानवीय संकट की ओर इशारा करता है। इस स्थिति में राज्य सरकार और प्रशासन को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि प्रभावित परिवारों को सुरक्षा और न्याय मिल सके। साथ ही, यह भी जरूरी है कि इस तरह की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग न दिया जाए और शांति बहाली के लिए सभी पक्ष मिलकर काम करें।

नोट: यह लेख तस्वीरों और स्थानीय लोगों के बयानों पर आधारित है। हमारी टीम इस मामले पर और जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है ताकि पूरी सच्चाई सामने लाई जा सके।

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