Tribal CM’s wife Kalpana Soren: आदिवासी सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन लोकसभा चुनाव से पहले 31 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के माध्यम से जेल भिजवा करके मोदी सरकार ने सोचा था कि अब झारखंड में Hemant Soren हेमंत सोरेन के अलावा कोई नेता नहीं जो आदिवासी अस्मिता के नाम पर इस पूरे प्रदेश को एकजुट करके रख सके।
मगर यहीं पर मोदी सरकार का दाव उल्टा पड़ गया हेमंत सोरेन Hemant Soren की पत्नी कल्पना सोरेन ना सिर्फ मुखर होकर के मंचों पर राई बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्टार प्रचारक के रूप में झारखंड के आदिवासियों में एकजुटता का संदेश देने के साथ ही बीजेपी के खिलाफ मुखरता के साथ अपनी आवाज रख रही हैं।
बस कल्पना सोरेन के साथ दो चीजें ना जुड़ी होती तो यह दलाल गोदी मीडिया उनको देश की एक फायर ब्रांड लेडी नेता के तौर पर दिखा रहा होता पहली बात कल्पना सोरेन आदिवासी समाज से आती हैं ।
दूसरी बात मोदी सरकार के खिलाफ पूरी मुखरता के साथ अपनी बात रख रही है यही वह दो चीजें हैं जिनकी वजह से कल्पना सोरेन को इस दलाल मीडिया ने अभी तक इग्नोर करके रखा मगर किसी व्यक्ति या महिला के संघर्ष को बहुत दिनों तक दबाया नहीं जा सकता।
आदिवासी सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन Tribal CM’s wife Kalpana Soren
झारखंड का राजनीतिक तापमान चीक चीक करके कह रहा है कि बीजेपी का दाव कम से कम झारखंड में उल्टा पड़ता दिख रहा है बीजेपी ने सोचा था हेमंत सोरेन Hemant Soren जेल जाएंगे अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना देंगे तो यह कहने का मौका मिलेगा देखो परिवार की एक महिला को ही आगे बढ़ाया लेकिन हेमंत सोरेन ने उस दाव को भी पलट दिया।
और झारखंड टाइगर नाम से जाने जाने वाले चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया बची कुची कसर कल्पना सोरेन ने जो एमटेक और एमबीए की पढ़ाई किए हुए हैं मंचों पर पूरी कर दी जहां एक तरफ मंचों पर बिरसा मुंडा का नाम लेते हुए उलगुलान का नारा बुलंद करती हैं।
वहीं बीजेपी की कार गुजारिश के सामने स्पष्ट करती हैं कल्पना सोरेन का एक ऐसा ही बयान वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने बीजेपी और आरएसएस की जड़ पर प्रहार किया है दरअसल आदिवासियों में काम करते हुए बीजेपी और आरएसएस के लोग उनको हिंदूवादी बताने की कोशिश करते हैं।
हिंदू देवी देवता और प्रतीक चिन्ह उनको पकड़ा करके पुजवा हैं ताकि वह अपने कल्चर से भटक करके इस पूजने के सिस्टम में आकर के उनके वोट बैंक बन जाएं दूसरी बात बीजेपी और आरएसएस के लोग आदिवासियों को आदिवासी ना कह कर के वन के वासी यानी कि वनवासी कहते हैं।
आरएसएस के तमाम संगठन जो आदिवासियों पर काम करते हैं उनमें भी वनवासी शब्द इस स्पष्ट तौर पर दिख जाता है शायद दूसरे अंदाज में ये कहने की कोशिश करते हैं कि वन के वासी यानी कि जंगली हैं कल्पना सोरेन ने इसी बात को पकड़ते हुए मंच पर RSS को बुरी तरीके से रगड़ हुए कहा कि इनके मुंह से आदिवासी शब्द नहीं निकलता।
क्योंकि ऐसा कहने पर इनको यह बताना पड़ेगा कि हम आदि काल से यानी कि पुराने समय से इस जल जंगल जमीन के हकदार हैं इसलिए ये लोग हमको वनवासी कह आदिवासी शब्द से इनको चढ़ाती है बीजेपी वाले हम लोगों को आदिवासी भी नहीं बोलते हैं आदिवासी शब्द से इ चिती है यह हमें वनवासी बोलते हैं वनवासी किस लिए बोलते हैं।
इनके लगता है कि जब तक जंगल है जंगल जमीन है हम तब तक है जब इस धरती पर कोई नहीं था तब से हम आदिवासी लोग इस धरती पर रहे हैं यह जल यह जंगल और यह जमीन हमारा मान है हरा अभिमान है हमारा स्वाभिमान है कल्पना सोरेन यही नहीं रुकती है जब पत्रकार उनसे इंडिया गर्बन के बारे में सवाल करते हैं।
तो कहती हैं कुर्सी खाली करो अब हम इंडिया गठबंधन वाले दिल्ली की कुर्सी पर पहुंचने वाले हैं लोगों से कह सकती हूं कि दिल्ली हम पहुंच गए हैं बस रकता बाकी है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा और कल्पना सोरेन की स्ट्रेटजी देखिए
अब आप लोग तैयार हो जाए कुर्सी खाली करने की क्योंकि इंडिया गठबंधन वाले आरो झारखंड मुक्ति मोर्चा और कल्पना सोरेन की स्ट्रेटजी देखिए सीधे-सीधे मोदी सरकार को चुनौती देते हुए उस राजमहल लोकसभा जहां के दो विधानसभा सीटों के विधायक बीजेपी की ईडी ने जेल में डाल रखे हैं।
बरहेड सीट से हेमंत सोरेन खुद विधायक हैं पाकुड़ सीट से आलमगीर आलम जो कांग्रेसी नेता हैं और हेमंत सोरेन सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री हुआ करते थे इन दोनों की ही लोकसभा है राजमहल लोकसभा इस सीट पर कल्पना सोरेन नौ सभाएं करके सीधे-सीधे मोदी सरकार को चुनौती देती हैं।
कि दरअसल झारखंड का हिस्सा मांग रहे थे हेमंत सोरेन आदिवासियों को गुलाम होने से बचा रहे थे हेमंत सोरेन इसलिए मोदी सरकार की ईडी ने महज 88.8 6 एकड़ जमीन के लिए 31 जनवरी से जेल में डाल रखा है हालांकि कल्पना सोरेन का यह आरोप सही प्रतीत होता है ।
एक मुख्यमंत्री के ऊपर महज ठ एकड़ जमीन में हेरफेर करने के आरोप में वो भी अभी साबित नहीं हुआ है 31 जनवरी से अभी तक जेल में ठूंस कर रखा गया और भारतीय न्याय सिस्टम का जाति च चरित्र देखिए कि हेमंत सोरेन को अभी तक जमानत भी नहीं दी जा सकी।
जबकि विपक्ष में रहते हुए भी अरविंद केजरीवाल पर शराब घोटाले में आरोप के बावजूद उनको चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिल गई थी मतलब विपक्ष के नेताओं में भी जाति के हिसाब से भेदभाव करना न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बन चुका है बहरहाल बात कल्पना सोरेन की हो रही थी।
कल्पना सोरेन सैकड़ों की संख्या में सभाएं करके झारखंड के लोगों को एकजुट कर चुकी हैं
जहां मंचों पर कई बार वह भावुक हो जाती हैं हेमंत सोरेन की जेल में जाने की बात करके वहीं दूसरे ही पल अग्रेसिव होक के झारखंड शेरनी के रूप में झारखंड के लोगों से झारखंड बचाने के नाम पर आदिवासियों की अस्मिता के नाम पर लड़ने की बात करती हैं।
जिस समय कल्पना सोरेन जंगल से भरे उस क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से उतरती हैं जिस क्षेत्र पर मोदी जी के तमाम कारोबारी मित्रों की निगाह है तो जनता का प्रेम उनकी तरफ देखते ही बनता है कुल मिलाकर के कल्पना सोरेन ने हेमंत सोरेन के जेल जाने की कमी को ना सिर्फ पूरा किया है बल्कि बीजेपी की रणनीति को कुचल करके रख दिया है।
शायद मोदी सरकार ने सोचा होगा एक मजबूत आदिवासी नेता जो हमारे खिलाफ मुकरता से है इसको जेल में डलवाए तेवर ढीले पड़ जाएंगे लेकिन हेमंत सोरेन के तेवर तो ढीले नहीं पड़े उनकी पत्नी के तेवर और उग्र हो गए जो बीजेपी के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है यानी कि दाव किसी और वजह से खेला था लेकिन मोदी सरकार का दाव कम से कम झारखंड में उल्टा पड़ता दिख रहा है