“अब जागो बहुजन! सोशल मीडिया और वोट से बदलो अपनी तकदीर
नई दिल्ली, 13 अप्रैल 2025
sc, st, obc reservation: आज देश में बहुजन समाज के सामने एक ऐतिहासिक मौका है। एक ऐसी क्रांति की शुरुआत हो रही है, जो सदियों से चली आ रही सामाजिक और आर्थिक गैर-बराबरी को खत्म करने का दम रखती है।
एक हालिया सभा में वक्ताओं ने बहुजन समाज से आह्वान किया कि अब समय आ गया है कि वे मुख्यधारा के टीवी और अखबारों का बहिष्कार करें, क्योंकि ये माध्यम कथित तौर पर “मनुवादी” हितों को बढ़ावा देते हैं और दलित, पिछड़े, आदिवासी व किसान समुदायों को बदनाम करने का काम करते हैं।
सभा में मौजूद लोगों ने जोर देकर कहा कि बहुजन समाज की ताकत उसकी संख्या और एकजुटता में है। वक्ता ने सवाल उठाया, “शहरों पर किसका कब्जा है? बिजनेस, खेल, सिनेमा, और बड़ी-बड़ी इमारतों पर किसका अधिकार है?”
उन्होंने दावा किया कि देश का अधिकांश संसाधन और सत्ता एक छोटे समूह के हाथों में केंद्रित है, जबकि बहुजन समाज को जानबूझकर हाशिए पर रखा गया है।

संविधान और वोट की ताकत sc, st, obc reservation
सभा में बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को बहुजन समाज का सबसे बड़ा हथियार बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि संविधान ने दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदायों को शिक्षा, नौकरी और सम्मान का अधिकार दिया, लेकिन आज यह संविधान और वोट का अधिकार दोनों खतरे में हैं।
उन्होंने मंडल कमीशन को एक टर्निंग पॉइंट करार दिया, जिसने ओबीसी समुदाय को पहली बार सशक्त किया। हालांकि, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इसके बाद “राजनीति के अपराधीकरण” का झूठा नैरेटिव बनाकर बहुजन नेताओं को बदनाम किया गया।
सोशल मीडिया: नया हथियार
वक्ताओं ने बहुजन समाज से अपील की कि वे सोशल मीडिया का उपयोग अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए करें। उन्होंने कहा, “टीवी और अखबार आपके खिलाफ हैं, लेकिन सोशल मीडिया आपके हाथ में है।”
उन्होंने हाल के उदाहरण दिए, जहां सोशल मीडिया के दबाव के कारण यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) जैसे संस्थानों को अपने फैसले वापस लेने पड़े।
नेताओं को एकजुट होने की सलाह
सभा में यह भी कहा गया कि अगर बहुजन नेता एकजुट नहीं होते, तो समाज को खुद एकजुट होकर ऐसे दलों को वोट देना होगा, जो सामाजिक न्याय के लिए लड़ते हैं और जीतने की क्षमता रखते हैं।
वक्ताओं ने मायावती, लालू यादव और रामविलास पासवान जैसे नेताओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये लोग सामाजिक न्याय के लिए हमेशा खड़े रहे, भले ही वे किसी भी गठबंधन का हिस्सा हों।
आगे की राह
वक्ताओं ने शिक्षा, नौकरी, बिजनेस और राजनीति में बहुजन समाज की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जातिवाद अब गांवों से निकलकर शहरों, मीडिया, न्यायपालिका और विश्वविद्यालयों में फैल गया है।
इसे खत्म करने का रास्ता संवैधानिक लड़ाई, सोशल मीडिया की ताकत और वोट के अधिकार से होकर गुजरता है।
आह्वान
सभा का अंत एक जोशीले नारे के साथ हुआ: “जय भीम, जय संविधान, जय भारत!” वक्ताओं ने हर बहुजन व्यक्ति से अपील की कि वे रोज कम से कम पांच लोगों को जागरूक करें और अपनी कलम व आवाज से इस क्रांति को आगे बढ़ाएं।
यह सभा न केवल एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या बहुजन समाज इस बार अपनी एकता और जागरूकता से देश की सत्ता और संसाधनों में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर पाएगा?
शिक्षित बनो संगठित रहो संघर्ष करो