संपादित समाचार :
नई दिल्ली, 13 अप्रैल 2025
Kanhaiya Kumar कन्हैया कुमार, कांग्रेस नेता और जेएनयू के पूर्व छात्र नेता, एक तीखे साक्षात्कार में एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में एक टीवी डिबेट में उनके बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी।
Kanhaiya Kumar ने जय शाह पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या जय शाह ने यूपीएससी की परीक्षा दी है? अगर उनके पिता अमित शाह गृह मंत्री नहीं होते, तो उनकी काबिलियत क्या होती?” यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, लेकिन कन्हैया ने साफ किया कि वे डर से कोई बात नहीं काटते।
तेजस्वी यादव और सीएम चेहरा विवाद
साक्षात्कार में तेजस्वी यादव के हालिया बयान पर भी चर्चा हुई, जहां उन्होंने खुद को बिहार का सीएम चेहरा बताया। कन्हैया ने इस पर कहा, “हमारी यात्रा सीएम बनाने की नहीं, बल्कि पलायन रोकने और नौकरी दिलाने की है।”
उन्होंने पत्रकार से सवाल किया कि क्यों चर्चा सिर्फ सीएम चेहरे पर अटकी है, जबकि बिहार की बेरोजगारी और गरीबी जैसे मुद्दों पर बात होनी चाहिए। कन्हैया ने जोर देकर कहा, “सीएम, पीएम या एमपी कौन होगा, यह चुनाव में जनता तय करेगी।”
आरजेडी और गठबंधन पर तंज: Kanhaiya Kumar
आरजेडी के तेजस्वी यादव को गठबंधन का चेहरा घोषित करने पर कन्हैया ने कहा कि यह उनकी पार्टी का फैसला नहीं है। उन्होंने सचिन पायलट का हवाला देते हुए कहा, “सचिन जी ने साफ किया कि बहुमत मिलने पर ही सीएम चेहरा तय होगा।”
वहीं, पत्रकार के सवाल पर कि क्या लालू प्रसाद ने कन्हैया को बिहार से चुनाव लड़ने से रोका, Kanhaiya Kumar ने जवाब दिया, “मैं पार्टी की जिम्मेदारी निभाता हूं। पार्टी ने मुझे दिल्ली से लड़ने को कहा, तो मैंने वहां चुनाव लड़ा।”
बिहार की समस्याएं और कांग्रेस का रोड मैप
कन्हैया ने बिहार की बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को अपनी यात्रा का केंद्र बताया। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की आवाज सरकार तक पहुंचाना है। कांग्रेस जन संघर्ष का मंच बनाएगी और सरकार से मुआवजा, फूड पार्क और सड़क परियोजनाओं में स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग करेगी।”
उन्होंने राहुल गांधी के विजन का जिक्र करते हुए कहा कि सभी जातियों के गरीबों, किसानों, मजदूरों और छोटे व्यापारियों के हक के लिए लड़ाई जारी रहेगी।
आरएसएस और वैचारिक लड़ाई
साक्षात्कार में आरएसएस पर कन्हैया के बयानों ने तूल पकड़ा। उन्होंने कहा, “गांधी की हत्या करने वाले गोडसेवादियों के खिलाफ कांग्रेस ही वैचारिक लड़ाई लड़ सकती है।”
जब पत्रकार ने इसे गाली बताने पर आपत्ति जताई, तो कन्हैया ने स्पष्ट किया, “गाली देना हमारा संस्कार नहीं, हम सवाल पूछते हैं।” उन्होंने अपने जेएनयू के दिनों का हवाला देते हुए कहा कि वे अपने साथियों के साथ मिलकर छात्र आंदोलनों में शामिल रहे।
चुनौती और भविष्य
पत्रकार के सवाल पर कि कांग्रेस हर राज्य में हार क्यों रही है, कन्हैया ने कहा, “हम लोगों की आवाज बन रहे हैं। हार-जीत का आंकड़ा दे सकता हूं, लेकिन हम बदलाव के लिए लड़ रहे हैं।”
उन्होंने बिहार के राजनीतिक महत्व पर भी प्रकाश डाला, “नीतीश कुमार का फैसला केंद्र की सरकार को प्रभावित कर सकता है।” साक्षात्कार के अंत में कन्हैया ने ईमानदार पत्रकारिता की अपील की और मुद्दों पर फोकस करने का आग्रह किया।
यह साक्षात्कार न केवल कन्हैया की बेबाकी को उजागर करता है, बल्कि बिहार की सियासत और कांग्रेस की रणनीति पर भी नई बहस छेड़ता है। क्या उनकी यह यात्रा बिहार में बदलाव ला पाएगी? यह आने वाला समय बताएगा।
नोट: यह ब्लॉग पोस्ट को संक्षिप्त, आकर्षक और समाचार शैली में संपादित करता है, जिसमें कन्हैया कुमार के बयानों को मुख्य फोकस बनाया गया है।