प्रो. रतनलाल ने Chief Election Commissioner मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनौती देते हुए क्या कहा पढें पूरी खबर

yash
19 Min Read
Chief Election Commissioner मुख्य चुनाव आयुक्त

प्रो. रतनलाल: मुख्य चुनाव आयुक्त Chief Election Commissioner को मैं चुनौती दे रहा हूं कि दुनिया के बेस्ट साइंटिस्ट को लाया जाए बहुत सारे लोग हैक कर लेते हैं ना पूरा सिस्टम हैक कर लेते हैं पूरे देश के सर्वर में घुस जाते हैं उनको लाया जाए उनको दिया जाए मशीन और उनसे टेस्ट हो जाए व क्यों नहीं जो कंप्यूटर साइंस के जो एक्सपर्ट है।

उनसे टेस्ट कराया जाए तो जिनको कंप्यूटर के बारे में खुद आईडिया नहीं अपने असिस्टेंट से काम लेते होंगे वह ऐसे लोगों का जो इंजीनियर बात कर रहे हैं जो एडवोकेट बात कर रहे हैं। जो लीडर्स बात कर रहे हैं पूरी सिविल सोसाइटी के लोग जो सवाल उठ रहे उसमें उसका मजाक बना रहे हैं।

जो वर्तमान के चुनाव आयुक्त हैं उनके परिवार के लोग संघ पृष्ठभूमि के हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई सरस्वती शिशु मंदिर में उनके परिवार के लोग फंड करते हैं तो पहले यह कॉन्फ्लेट ऑफ इंटरेस्ट है। संघ से जुड़ा हुआ व्यक्ति अगर चुनाव आयुक्त है चुनाव आयोग में बैठा हुआ है।

Chief Election Commissioner मेरा सबसे बड़ा आरोप चुनाव आयुक्त के ऊपर

प्रमुख पद पर तो चुनाव निष्पक्ष हो सकता मैं एजुकेशनल क्वालिफिकेशन आपको बता रहा हूं चीफ इलेक्शन कमीशन उनका मेरा सबसे बड़ा आरोप चुनाव आयुक्त के ऊपर यह है कि चुनाव आयुक्त सी है उन्होंने कहा कोई बक्सा लेकर आता है।

सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट ने जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है। डिस्पोज कर दिया है डिस्पोज ऑफ कर दिया है केस को मैं यह समझता हूं यह बचकाना आर्गुमेंट है आप सभी का बहुत शुक्रिया और सबसे पहले कल जो मीटिंग हुई है।

विपक्षी दलों की मुंबई में उन सबका शुक्रिया कि हम लोग लगातार कई वर्षों से 5 साल हो गए तकरीबन पिछले लोकसभा चुनाव के पहले भी हम लोगों ने आपके आवास पे सरकारी आवाज पे एक प्रेस वार्ता की थी और राहुल गांधी ने उस वीडियो को शेयर किया था जहां तक मुझे याद है। उन्होंने हमारे मुद्दे को उठाया है

इसलिए उनका शुक्रिया और मैं समझता हूं कि जो विपक्षी पार्टियां हैं चाहे जो तीसरे मोर्चे में भी है ।

चाहे वह मायावती हो या तेलंगाना की पार्टी है या जो गठबंधन में है अखिलेश जी हो या तेजस्वी जी हो यह सब लोग ईवीएम के खिलाफ कम से कम संयुक्त मोर्चा बनाए और बोले अब कम से कम लोगों ने बोलना शुरू कर दिया है। यह महत्त्वपूर्ण बात है जब हम लोग कहीं सभा में जाते थे तो लोग तो कहते थे कि आप लोग बोल रहे हैं लगातार मुद्दा उठा रहे हैं।

पॉलिटिकल पार्टी भी EVM के खिलाफ बोलना शुरू कर दीये हैं

लेकिन पॉलिटिकल पार्टी कहां है तो अब तो पॉलिटिकल पार्टी भी इसके खिलाफ बोलना शुरू कर दी एक बात ये दूसरी बात मैं लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस देख रहा था जो चीफ इलेक्शन कमिश्नर है उनका मैं सुन रहा था और खास तौर से मेरी दिलचस्पी यह थी। कि

ईवीएम के बारे में जो कह रहे थे और बड़ा सरकास्टिक मजाकिया तरीके से मजाक उड़ा रहे थे जितने सिविल सोसाइटी के लोग हैं एक्टिविस्ट हैं नेता हैं अब तो अपोजिशन से ज्यादा बड़ा इलेक्शन कमीशनर अपने आप को समझ रहे हैं पॉलिटिकल पार्टी से ज्यादा और वो सुनकर मुझे लगा कि इतना बचकाना और नाइव आर्गुमेंट कैसे हो सकता है।

और या तो यह बचकाना नाइव है या फिर एक एक शहंशाह की तरह तानाशाह की तरह जो हम कहना चाह रहे हैं। वही उन्होंने कहा कोई बक्सा लेकर आता है से बक्सा लेकर आता है और सुप्रीम को हाई कोर्ट ने अब जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है डिस्पोज कर दिया है।

डिस्पोज ऑफ कर दिया है केस को मैं यह समझता हूं कि ये बचकाना आर्गुमेंट है और कोर्ट अपने निर्णय का रिव्यू कई बार करता है उदाहरण यह दे रहा हूं कि अभी जो रेबल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया है। जस्टिस चंचर साहब वो विस्तार से बलराज साहब आपको बता देंगे उनके फादर का एक डिसीजन था वो भी चीफ जस्टिस थे।

चीफ जस्टिस ने कई बार डिसीजन को उलट दिया है

और इन्होंने इस डिसीजन को उलट दिया कई बार दो जजेस के बेंच के फैसले आते हैं तो तीन जज वाले उसको रिवर्ड बैक कर देते हैं। मैं तो खुद मुकदमा लड़ा हूं मुझे पता है तो एक बार अगर किसी ने अगर फाइन कर दिया और ज जुडिशरी में भी किस तरह की लीलाए है।

वो भी हम लोग जानते हैं इसका मतलब कि वोह फैक्ट एब्सलूट ट्रुथ नहीं है वो एकदम अखंड लाइन नहीं है कि व खत्म नहीं हो सकता है हो सकता है 5 साल बाद कोई पूरा संविधान पीठ बैठकर पूरा खारिज कर दे तमाम यह पूरे आर्गुमेंट को एक बात यह कहना चाहता हूं कि जुडिशियस अपने निर्णयों का ही कई बार करती है।

चुनाव आयुक्त कंप्यूटर का विशेषज्ञ नहीं है फिर कैसे कह सकते हैं कि ईवीएम 100 सही है

दूसरी बात है अगर मैं कंप्यूटर साइंस का स्टूडेंट नहीं हूं तो मैं दावे के साथ नहीं कह सकता मैं इतिहास पढ़ाता हूं इतिहास में बात करू लेकिन जो कंप्यूटर साइंस के जैसे मैं एजुकेशनल क्वालिफिकेशन आपको बता रहा हूं चीफ इलेक्शन कमिशन उनका आईस ऑफिसर रहे 84 बैच के और इनकी डिग्री सुन लीजिए डिग्री इनकी है।

बीएससी डिग्री है एलएलबी है पीजी डीएम है पीजी डिप्लोमा इन मैनेजमेंट होगा यह और मास्टर डिग्री इन पब्लिक पॉलिसी है यह कंप्यूटर साइंस के एक्सपर्ट यह इंजीनियर नहीं है।

इतना दावे के साथ कैसे कह सकते हैं कि कंप्यूटर में और ईवीएम मशीन में हेराफेरी नहीं हो सकती है मैं चुनौती दे रहा हूं कि दुनिया के बेस्ट साइंटिस्ट को लाया जाए बहुत सारे लोग हैक कर लेते हैं।

ना पूरा सिस्टम हैक कर लेते हैं पूरे देश के सर्वर में घुस जाते हैं उनको लाया जाए उनको दिया जाए एबीएम मशीन और उनसे टेस्ट हो जाए व क्यों नहीं जो

कंप्यूटर साइंस के जो एक्सपर्ट है। उनसे EVM का टेस्ट कराया जाए

जिनको कंप्यूटर के बारे में खुद आईडिया नहीं अपने असिस्टेंट से काम लेते होंगे वो ऐसे लोगों का जो इंजीनियर जो इसम बात कर रहे हैं जो एडवोकेट बात कर रहे हैं जो लीडर्स बात कर रहे हैं पूरी सिविल सोसाइटी के लोग जो सवाल उठा रहे हैं उसमें उसका मजाक बना रहे हैं।

और जस्टिस लोकुर के नेतृत्व में जो सिटीजन रिपोर्ट जो बनी थी उसमें साफसाफ सुप्रीम कोर्ट के जज ऑलरेडी रह चुके हैं वो भी उन्होंने साफ साफ खिलाफ आवाज उठाया था तो ये ये इनका क्वालिफिकेशन बताना जरूरी था कि जिस दावे के साथ वो ईवीएम परबात कर रहे हैं जिस दावे के साथ वो कंप्यूटर के एक्सपर्ट नहीं है।

अभी वो सार्वभौम सत्ता की तरह बिहेव कर रहे हैं कि कोई सवाल नहीं करे जैसे मोदी जी पर कोई सवाल नहीं करे तो इन पर भी कोई सवाल नहीं करें भाई साहब मैं तो पहले भी कहा था कि आपको देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है कोई कमी नहीं है पहले भी जब बैलेट पेपर से होता था तो पूरे टेंट समियाना लगता था।

वहां पर काउंटिंग होती थी और आपको कितने सारे हॉल चाहिए आप छोड़ दीजिए अभी ईवीएम का मसला आप सिर्फ हम लोग ये करें कि हम जिसको वोट रहे वो पची उठाकर हम देखें कि भाई जिसको मैंने वोट दिया वो सही पड़ा किनहीं और मान लिया गलत पड़ा तो हम फड़ भी सकते हैं उसको इनवैलिड कर सकते हैं पहले तो इनवैलिड कर सकते था ।

तो इनवैलिड काभी कोई ऑप्शन नहीं है तो हम एक बार देख ले कि सही है उसका डब्बा में डाल दे आप उसकी गिनती करो आप मशीन पर इतना अड़क क्यों हो आप कंप्यूटर साइंस के इंजीनियर नहीं हो जब दुनिया में जब यहां से बैठे अंतरिक्ष में लोग कंट्रोल कर रहा है मिसाइल को कंट्रोल कर रहा है यहां बैठे बैठे मिसाइल 4000 किलोमीटर उड़ा दे रहा है।

जब बैठे-बैठे यान मंगल में भेज रहा हो यहीं से कंट्रोल कर रहे हो तो आप कैसे दावा कर सकते हो कि आप अगर जिंदगी भर पीएचडी किएरहते आप ईवीएम मशीन में पीएचडी किए रहते कंप्यूटर साइंस पढ़ाते होते अमेरिका के सबसे

बेस्ट यूनिवर्सिटी में पढ़े होते और तब दावा ठोक के कहते कि यह मैं बना के दे दे रहा हूं ।

और इसको हैक करके दिखाओ इसको मैनिपुलेट करके दिखाओ तब तो एक बात बनती वो डिग्री आपके पास है नहीं सिर्फ एक संवैधानिक पद आपको मिला है और उस पद का इस्तेमाल करते देश के तमाम करोड़ लोग जो इसके खिलाफ बोल रहे हैं उसका मजाक होर है ये ठीक बात नहीं कम से कम जो लीडर्स कह रहे हैं।

इस पर बहस हो इस पर लगातार हमने कल पूरा भाषण सुना है प्रकाश अंबेडकर ने राहुल गांधी को कहा है कि दिल्ली बुलाए हमलोग दिल्ली आएंगे तो यह इससे बहस दूसरा कि यह एक आदमी के अंदर दो दिन के अंदर ही जैसे दो चीफ ले जो दो कमिश्नर्स की अपॉइंटमेंट हुई वो भी डाउटफुल है उनका पूरा हिस्ट्री उठा के देखिए व एकही एक ही सरकार की तरह में बड़े बड़े पोजीशन पर काम कर चुके हैं तो जब इलेक्शन लोग कह रहे हैं।

कि हमको मैं वोट दे रहा हूं मेरा वोट का जितना अधिकार चाहे प्रधानमंत्री का वोट का जितना वैल्यू है राष्ट्रपति के वोट का जितना वैल्यू है उतना ही वैल्यू हमारे वोट का भी है तो इसलिए मैं कह रहा हूं कि मैं बैलेट पेपर से देना चाहता हूं ।

बैलेट पेपर से देंगे नहीं तो बीवी पट मुझे दोदिखाओ और इस तरीके से तानाशाही की तरह यह बात करना और करोड़ों लोगों का मजाक उड़ाना राजेंद्र गौतम जी एमएलए है मिनिस्टर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के वकील बैठे हुए हैं।

किसान मोर्चा के हैं सूरज जी सब इलेक्शन कमिशनर जितने पढ़े लिखे हैं

उससे ज्यादा पढ़े लिखे रिसर्च करने वाले लोग ईवीएम के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं

वह परंपराओं के बेसिस पर भी कि आप जो 19 तारीख को पहला चुनाव है अब बिहार में 40 सीट के लिए सात चरण में चुनाव है ।

क्या बिहार में वहां पर पाकिस्तान और बांग्लादेश तमाम तरह से मिसाइल ल सा दिन आपको चुनाव कराने के लिए चाहिए 19 से लेकर4 जून तक आप नोट कर लो डेढ़ महीने हुए कहां समय कम लगा देश की जनता की ओर से हम चाहते हैं डेढ़ महीने नहीं ढाई महीने में इलेक्शन का रिजल्ट आ क्या फर्क पड़ता है।

दिन दुनिया की इतनी बड़ी लोकशाही है इतनी बड़ी आप जाकर कहते हो कि मदर ऑफ डेमोक्रेसी बाहर में तो कम से कम लोगों को लगना चाहिए कि फ्री एंड फेयर इलेक्शन हुआ है जिस जमाने में इतना हाई टेक्नोलॉजी नहीं था अब तो सॉफ वेपंस आ गए हैं।

कैमरे लग गए हैं पूरा सर्विलांस कर सकते हो तब इतना डेढ महीने चुनाव कराने की क्या जरूरत व तो दो फेज में आप करा सकते हो पूरे भारत में पहले भी चुनाव सात फेजमें कब होते मुझे तो याद नहीं है जब ब बैलट पेपर से एक या दो दफे में हो जाता एक या दो दफे में होता था तो इतना हाई टेक्नोलॉजी सर्विलांस इतना मशीन इतना सोफिस्टिकेटेड आपके फोर्स हैं।

उसके बाद अगर सात चरण में करवा रहे हो डेढ़ महीने तक डेढ़ महीना में जो 19 तारीख को जो वोट डालेगा उसकी काउंटिंग डेढ़ महीने बाद होगी उस बीच उसमें क्या होगा नहीं होगा इसकी गारंटी कौन ले सकता है तो इसलिए अब तो हमें लग रहा है कि दाल में काला नहीं पूरी दाली काली पूरी दाली काली कि यह ये इंस्टिट्यूशन जो कांस्टिट्यूशन बॉडी है ।

सुप्रीम कोर्ट कि भावनाओं पर भी जजमेंट आ जाता है

हमने कई जजमेंट भी देखे हैं सुप्रीम कोर्टकि भावनाओं पर भी जजमेंट आ जाता है जहां कांस्टिट्यूशन इंपॉर्टेंट उसी तरीके से चीफ इलेक्शन कमिशनर बव कर रहे हैं और करोड़ों लोग जो ईवीएम के खिलाफ मजाक कर रहे इसलिए मैंने उनकी डिग्री दिखा दिया य मैं इंटरनेट पर दिखा रहा है कि कंप्यूटर साइंस में पीएचडी नहीं है।

ना अमेरिका में जाकर कंप्यूटर साइंस पढ़ाते हैं अमेरिका के यूनिवर्सिटी में सिंपल बीएससी लॉ ग्रेजुएट और वह इतने दावे के साथ कैसे कर सकते हैं इस पर मैं सवाल उठा रहा हूं शुक्रिया थैंक यू साथियों जिस हिसाब से अभी बलराज जी और बाकी साथियों ने अपने राजेंद्र पाल गौतम जी डॉक्ट सूरज मंडल जीऔर अपने प्रोफेसर रतनलाल जी अपने किसान संगठन के भी साथी बयान दिया बातें कही आपको सबसे बड़ा आरोप मैं जो लगा रहा हूं।

चुनाव आयोग अब संघी आयोग बन चुका है

वह चुनाव आयोग के ऊपर कर रहा हूं चुनाव आयोग अब संघी आयोग बन चुका है चुनाव आयोग अंडर स्कोर चुनाव आयोग संघी आयोग जो वर्तमान के चुनाव आयुक्त हैं।

उनके परिवार के लोग संघ पृष्ठभूमि के हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई सरस्वती शिशु मंदिर में उनके परिवार के लोग फंड करते हैं तो पहले यह कॉन्फ्लेट ऑफ इंटरेस्ट है संघ से पृष्ट मू से जुड़ा हुआ व्यक्ति अगर चुनाव आयुक्त है।

चुनाव आयोग में बैठा हुआ है प्रमुख पद पर तो चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकता इसीलिए जिस तरीके से चुना आयुक्त बिहेव कर रहा है जिस तरह व्यवहार कर रहा है वह एक संघ के प्रचारक के तौर पर वह काम कर रहा है जिस हिसाब से उसने एडवाइजरी जारी की राहुल गांधी जी के खिलाफ कि राहुल गांधी यह नहीं कह सकते प्रधानमंत्री को राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह नहीं कह सकते जिस तरीके उसकी सारी एडवाइजरीज है।

वो सारी एडवाइजरीज बस विपक्ष के नेताओं के के के लिए है और सिविल सोसाइटीज के लोगों के लिए है अगर इस देश की जनता इस देश के सिविल सोसाइटीज के लोग किसान आंदोलनों के लोगकिसान अगर ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।

तो जो वीवी पैट की पर्ची है वह पर्ची आप मतदाता के हाथ में दो और उस के बाद वो बैलेट बॉक्स में डाले और उसकी 100% उसकी जो है आप जो है गणना करो और अगर आप मतगणना नहीं कर रहे हो इसका अर्थ आप बहुत बड़े व्यापक पैमाने पर सात चरणों के जो इलेक्शन है ।

उस इलेक्शन के माध्यम से आप जो है बेईमानी कराना चाहते हो और इसके अंदर नरेंद्र मोदी के एक एजेंट के तौर पर काम कर रहे हो तो मेरा सबसे बड़ा आरोप चुनाव आयुक्त के ऊपर यह है कि चुनाव आयुक्त संघी है 23 मार्च को एक आवान किया गया है।

कई संगठनों द्वारा कि 23 मार्च को भाजपा भगाओराष्ट्रीय उपवास रखें और इसमें तमाम राजनीतिक दलों को भी हमने आग्रह किया है कि वह अपनी ओर से रहे राहुल जी से एक डेलिगेशन मिलेगा राहुल गांधी जी से और उनको यह हम आग्रह करेंगे कि वह इस जो उपवास है राष्ट्रीय उपवास में शामिल हो और किसान संगठन कई जगह धरने पर रहेंगे इसी बात के साथ आज संवाददाता सम्मेलन समाप्त की जाती है।

Share This Article